World is full of words and we all argue up to our most when ever we get a chance..but don't you feel that our words do like antibiotics that they do not work when they have to be a saviour for us...personally I feel so......may be u too.
Saturday, January 02, 2010
एक और रात, एक और दिन!
देखते देखते एक और साल चला गया, कुछ खुशियाँ और कहीं बड़ा गम देकर. मम्मी के बिना आज एक quarter भी पूरा हो गया और नए साल में एंट्री धमाकेदार तरीके से भी हो गयी पर ना लक्ष्य बदले हैं, ना प्राथमिकताएं और ना ही चुनौतियाँ. नए साल में उन सब के साथ वैसे ही दो-दो हाथ होने हैं. बस नया साल ये जरूर याद दिला रहा है की समय का पहिया बहुत तेज चल रहा है, इससे पहले की एक और दिन जुड़े औए एक और रात जाए, कुछ करना है उन सब सपनों के लिए जिनके लिए हम जीना चाहते हैं, जिनके साथ हम होना चाहते हैं. पता है की ये सब तब तक ही रहना है जब ये ना दिन होगा ना रात गिनने के लिए...
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