Friday, November 20, 2015

भूख बड़ी या टमाटर दाल

कल भारत सरकार ने नए वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकृत करलीं। बड़ी ख़ुशी की बात है की कुछ टाइम से होना भी शुरू हुआ देश में। अर्थव्यवथा जानने वालों का कहना है की इससे बाजार में और पैसा आएगा क्यूंकि क्रय शक्ति बढ़ेगी, और सामान्य भाषा में मैं कहूँ तो अब सरकारी कर्मचारी ज्यादा दाल-टमाटर खा-खिला सकेंगे। जब ऐसी खबरें समाचार चैनलों पर उछाल लगाती होती तब मेरे मन ये सवाल अक्सर उथता है - उनका क्या जिनका टमाटर दाल की चिंता नहीं पर पेट भर खाना ही संघर्ष है।  मैं उनकी बात कर रहा हूँ जिनको देश की सहृदय जनता और कंपनिया सरकारी न्यूनतम मजदूरी तक देने से बचना चाहती हैं. क्या सरकार सिर्फ सरकारी कर्चारियों के टमाटर दाल का इंतजाम करने के लिए होती है? क्या जिनको जीवन की सामान्य जरूरतें पूरी करने भर भी पैसे नहीं मिल पा रहे पूरा दिन काम करने के बाद भी, उनकी परवाह कौन करेगा? 

No comments :